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Police Line Days

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पुलिस लाइन


– शैतान बच्चा


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मै किसी बड़े शहर मै नही हुआ पैदा,
न ही किसी गांव में,
मै हुआ एक छोटे से शहर के पुलिस लाइन में,
अलग है ये जगह,
इसका माहौल,
तुम समझ भी नही पाओगे,
ये इतना हसीन है।
कोई दोस्त हो तुम्हारा,
जो रहता हो ऐसी ही किसी लाइन में,
तो उसके साथ कुछ दिन बिताना।
तुम बस थम जाओगे,
रुके रहोगे।
वहां लोग रहते नही,
वहां यादें बनाई जाती,
उस समय को जीना,
वो महसूस कराएगी,
तुम क्यों न थे पहले यहां।

पुलिस लाइन,
ये कुछ ऊंची बिल्डिंग का समूह है,
जहा रहते होगे कुछ लोग,
अलग थलग,
अपने पड़ोसियों को बिना जाने।
नही ऐसा नहीं है,
ये कुटुम्ब है,
यहां सब परिवार की तरह है,
आपस में लड़ते है,
तो आपस में साथ में रहते भी
दुख में भी सुख में भी।

गणेश जी की स्थापना हो,
दुर्गा जी की आरती,
मंदिर में अभिषेक,
होलिका का दहन,
दिवाली के पटके,
सब साथ होते है।

पानी की समस्या,
बिजली का न रहना,
जानवरो की समस्या,
पुरानी दीवारों के गिरने का डर,
इसके बीच भी खुशी तलाश करना,
ये है पुलिस लाइन।

घरों की दीवार भौतिक होती,
यहां सब साथ होते,
कोई दीवार नही इनके बीच,
ये परिवार है,
जहा किसी की गैर मौजूदगी भी,
सब पूरी कर देते है।


मेरा बड़ा कुटुम्ब,
शायद जिसकी कल्पना कभी नही की,
उसे छोड़ने की,
उसे छोड़ कर हम यह रहते है,
हर कोई किसी न किसी को छोड़ कर आता,
यह रहता है,
यह रहते हुए,
सब सीखता है,
ख़ुद सब मिल कर,
एक कुटुम्ब बनते है।

Author:

P. hD in computer science (pursuing)

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